अयोध्या. संतों ने मंदिर बनने तक रामलाल की प्रतिमा के लिए जन्मभूमि पर अस्थाई ढांचा बनाने की बात मांग की है। सोमवार को हनुमानगढ़ी मंदिर के महंत राजू दास ने कहा, “1992 से रामलला टेंट के नीचे रह रहे हैं। बड़ा मंदिर बनने में 5 साल का समय लगेगा। तब तक अस्थाई इंतजाम के तौर पर, सरकार के ट्रस्ट को एक छोटी इमारत का इंतजाम करना चाहिए। भगवान को वहां स्थापित करने से दर्शन करने आने वाले भक्तों को भी कठिनाई नहीं होगी।”
राजू दास ने कहा- सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भक्त भी अपने भगवान को टेंट के नीचे बैठे हुए देखना नहीं चाहते। निष्काम सेवा न्यास के महंत रामचंद्र दास ने भी रामलला को दूसरी जगह स्थापित करने का समर्थन किया है। उन्होंने कहा- भक्तों की श्रद्धा के मुताबिक, रामलला की पूजा भी विधि-विधान के साथ होनी चाहिए। वहीं महंत संतराम भूषण कृपालु कहते हैं कि राम भक्तों ने राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष करते हुए बलिदान दिया है। अब यह उचित नहीं होगा कि उन्हें वहां पूजा करने के लिए और इंतजार करना पड़े।
त्योहारों पर 50,000 से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते हैं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद, रामलला के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या दिनों-दिन बढ़ती जा रही है। रविवार को 5,500 से ज्यादा श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए, जबकि शनिवार को यह संख्या 2,500 थी। सोमवार को भक्तों की संख्या 6,000 को पार कर गई। हालांकि आम दिनों में जन्मभूमि पर स्थापित मंदिर में रामलला के दर्शन करने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10,000 के करीब होती है, लेकिन त्योहारों के अवसर पर यह संख्या 50,000 को पार कर जाती है।
मंदिर निर्माण के लिए संतों ने दो तारीखें सुझाईं
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राम मंदिर के निर्माण को लेकर संत समाज ने दो तारीखें सुझाई हैं। अखिल भारतीय संत समिति ने सर्वसम्मति से कहा कि मंदिर की नींव हिंदू नववर्ष (नव संवत्सर) या भगवान राम के जन्मदिन (रामनवमी) को ही रखी जाए। पंचांग के अनुसार, हिंदू नववर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है, जो 2020 में 25 मार्च से शुरू होगा। रामनवमी 2 अप्रैल को है। इन दोनों तारीखों को लेकर संघ भी सहमत है।
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