अयोध्या. अयोध्या मामले में मुख्य मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार सरकार को मस्जिद के लिए 5 एकड़ जमीन देनी है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में 1991 में केंद्र द्वारा विवादित क्षेत्र समेत अधिग्रहीत की गई 67 एकड़ में से ही हमारी सुविधा के हिसाब से मस्जिद के लिए जमीन दे।
अंसारी ने कहा कि लोग कह रहे हैं मस्जिद के लिए जमीन 14 कोस के बाहर दी जाए। अगर ऐसा होता है, तो हम जमीन लेने का प्रस्ताव खारिज कर देंगे। उधर, स्थानीय मौलवी मौलाना जलाल अशरफ ने कहा कि मुस्लिम जमीन खरीदकर खुद की मस्जिद बना सकते हैं, इसके लिए हम सरकार पर निर्भर नहीं हैं। उन्होंने कहा, अगर अदालत या सरकार हमारी भावनाओं की कद्र करना चाहती है, तो पांच एकड़ जमीन अधिग्रहित क्षेत्र में ही दी जानी चाहिए क्योंकि उस क्षेत्र में 18वीं सदी के सूफी संत काजी कुदवाह की दरगाह है।ऐसे ही विचार ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव खालिक अहमद खान ने जताए।
17 नवंबर को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक 17 नवंबर को होगी। अयोध्या मामले में मुख्य पक्षकार सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील और पर्सनल लाॅ बाेर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि इस बैठक में तय करना है कि फैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी है या नहीं। दरअसल, कोर्ट के फैसले के बाद जिलानी ने कहा था कि वह फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इससे संतुष्ट नहीं हैं।
मंदिर के मॉडल व ट्रस्ट के स्वरूप पर विहिप समझौते के मूड में नहीं
अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार राम मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट गठन में भले ही सौहार्द का संदेश देने पर मंथन कर रही हो, पर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) हिंदू आस्था से समझौते के मूड में नहीं है। विहिप का कहना है कि मंदिर का मॉडल और चित्र तैयार है। उम्मीद है कि सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी जिससे समस्या पैदा हो। विहिप उपाध्यक्ष और आंदोलन से लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में मौजूद रहे चंपत राय का कहना है कि गेंद सरकार के पाले में है। मंदिर को लेकर ट्रस्ट के प्रबंधन में सिर्फ हिंदुओं को ही शामिल किया जाना चाहिए। विहिप सरकार की ओर से भी किसी मंत्री को प्रतिनिधि बनाने के खिलाफ है। राय ने कहा, “ट्रस्ट में सरकार का कोई व्यक्ति नहीं आ सकता। अयोध्या रामानंद संप्रदाय की है और सिर्फ सगुण परंपरा के शैव-वैष्णव को जगह मिले।’’ राय ने यह बात अयोध्या मसले पर मध्यस्थ रहे श्री श्री रविशंकर को शामिल करने की संभावना पर पूछे गए सवाल के जवाब में कही।
'अन्य धर्म के लोगों को ट्रस्ट में जगह देने का सवाल भी नहीं उठता'
रायने यह भी कहा कि ट्रस्ट में मंदिर प्रबंधन या पुजारियों में आजीवन रक्त परंपरा को भी जगह नहीं मिलनी चाहिए। चंपत राय ने कहा कि अन्य धर्म के लोगों को ट्रस्ट में जगह देने का सवाल भी नहीं उठता। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से ऐसा कोई प्रयास होता है तो अयोध्या में नई समस्या खड़ी हो सकती है, जिसके लिए वह खुद जिम्मेदारी होगी। राय ने यह भी कहा कि सरकार का काम मंदिर बनाना नहीं, क्योंकि वह सेक्युलर होती है। राम जन्मभूमि न्यास की भूमिका पर राय ने कहा कि जो पत्थर न्यास ने तैयार किए हैं, उन्हें ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा।
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