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Sunday, February 9, 2020

करीब 400 करोड़ रुपए का है पूरा शो, इसमें आने के लिए कई कंपनियां 25 करोड़ रु. तक खर्च करती हैं

अर्पित सोनी. एशिया का सबसे बड़ा ऑटो एक्सपो शुरू हो चुका है। देश-विदेश की तमाम बड़ी कंपनियां इसमें भाग लेने भारत आई है। चीनी कंपनियों ने शो में करीब 20 फीसदी एरिया बुक कराया है। इस साल शो का पूरा फोकस जीरो एमीशन व्हीकल्स पर है, इंटरनेशनल समेत कई भारतीय कंपनियों ने अपने जीरो एमीशन प्रोडक्ट शो में पेश किए हैं। ऑटो एक्सपो में भाग लेने के लिए किसी कंपनी को कितनी रकम खर्च करने पड़ती है साथ ही इस बार शो में सबसे बड़ा पवेलियन किसका है यह जानने के लिए हमने सियाम के सीनियर डायरेक्टर ऑफ ट्रेड फेयर देवाशीष मजूमदार से बात की। उनसे बातचीत के कुछ अंश...

1. ऑटो एक्सपो का कितना बजट?
देवाशीष-
कितना बजट होता है यह बताना मुश्किल है। हर कंपनी यहां बड़ी मात्रा में पैसा खर्च करती है, हालांकि वे इस बात का जिक्र हमसे नहीं करती। लेकिन मेरे ख्याल से एक कंपनी अगर छोटी सी भी जगह लेती है तो वे करीब एक से 1.5 करोड़ रुपए तक खर्च करती है। वहीं बड़ी कंपनियां 20 से 25 करोड़ रुपए तक भी खर्च करती है। इस खर्च में उनका सिर्फ स्टॉल लगाने का खर्च नहीं बल्कि यह आने और रुकने का भी खर्च जुड़ा होता है। कुल कितना बजट है यह बोलना बड़ा मुश्किल हो जाता है लेकिन ऑटो एक्सपो का कुल बजट करीब 350 से 400 करोड़ का होता है।

2. सबसे बड़ा और सबसे छोटा पवेलियन किसका.?
देवाशीष-
सबसे बड़े पवेलियन की बात करें तो इस बार शो में टाटा ने करीब 57 हजार स्क्वायर फीट का एरिया लिया है, जो अबतक का सबसे बड़ा है। यह किसी फैक्ट्री के साइज जितना बड़ा है। सबसे छोटे की बात करें तो शो में हमने 120 स्क्वायर फीट तक के कई स्टॉल्स बनाए हैं, जो कई छोटी और स्टार्टअप कंपनियों ने लिए हैं। हॉल नंबर 12 में ऐसी कई स्टार्टअप कंपनियां है, जिन्होंने छोटे स्टॉल्स बुक किए हैं। वैसे टाटा के बाद मारुति सुजुकी का 4 हजार स्क्वायर फीट और महिंद्रा ने करीब 3500 हजार स्क्वायर फीट का स्पेस ले रखा है। यानी कहा जा सकता है कि एक नॉर्मल शोरूम से काफी बड़ी जगह में कंपनियां पवेलियन तैयारकरती हैक्योंकि उन्हें शो में बड़ी रेंज शोकेस करना होता है।

3. पवेलियन की कीमत कैसे तय होती है?
देवाशीष-
इनकी कीमत प्रति स्क्वायर फीट से ली जाती है। एक्सपो में ली जाने वाली राशि भारत में सबसे कम है। देश की किसी भी तीन दिवसीय एग्जीबिशन में जाएं तो करीब 10 से 12 हजार रुपए प्रति स्क्वायर फीट चार्ज लिया जाता है। इस हिसाब से हम कम पैसे लेते हैं। हमारा चार्ज सिर्फ 9500 रुपए है, जिसके बाद भी रेगुलर कंपनियों को डिस्काउंट भी दिया जाता है। यह रेट सभी कंपनियों के लिए एक जैसा है।

4. कंपनियों को पवेलियन तैयार करने के लिए कितना वक्त मिलता है?
देवाशीष-
पवेलियन तैयार करने के लिए हम कंपनियों को पांच दिन का समय देते हैं। इस बार कंपनियों को 31 जनवरी तक समय दिया गया था। जिन्हें ज्यादा समय लगता है उनके लिए दूसरी व्यवस्था की जाती है। स्टॉल्स लगाने से लेकर शो खत्म होने तक हमारा पास कुल 24 दिन का समय होता है, ऐसे में किसी कंपनी को सबसे ज्यादा समय 10 दिन का ही मिल पाता है।

5. एक्सपो खत्म होने के बाद इतनी बड़ी जगह का क्या होगा?
देवाशीष-
देखा जाए तो एक्सपो मार्ट में सालाना कोई न कोई कार्यक्रम चलते रहते हैं। यह ऑटो एक्सपो के अलावा अन्य एग्जीबिशन भी आयोजित किए जाते हैं।

6. रॉ मटेरियल का क्या होता है..?
देवाशीष-
यहां कुछ बचता नहीं है, काम की चीजें लोग निकाल कर ले जाते हैं, इसके अलावा कुछ समान कबाड़ में चला जाता है। कई सारी चीजों को दोबारा यूज कर लिया सकता है। ज्यादातर वेंडर्स अपने काम की चीज निकाल कर ले जाते हैं।

7. ऑडी और बीएमडब्ल्यू शो में नहीं आई लेकिन फिर भी उनकी चर्चा हो रही है
देवाशीष-
ऑडी पिछले बार भी नहीं थी, जबकि बीएमडब्ल्यू ने पिछले साल शो में हिस्सा लिया था। वैसे शो में शामिल होना न होना कंपनियों का निजी मामला है, क्योंकि हर बार शो में भाग लेना कई कंपनियों के लिए मुश्किल होता है। हमारे करीब 50 मेंबर्स हैं, उसमे से 20-30 फीसदी ही शो में आते क्योंकि यह नए प्रोडक्ट के साथ शो में न आओ को कहीं न कहीं उनकी ब्रांडिंग पर फर्क पड़ता है।



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The entire show is about 400 crores rupees, many companies to pay 25 crores to come in it. Spend up to


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